धाता च सविता चाष्ठीवंतौ जङ्घा गन्धर्वा अप्सरस: कुष्ठिका अदिति: शफा:॥१०॥

चेतो हृदयं यकृन्मेधा व्रतं पुरीतत्॥११॥

क्षुत् कुक्षिरिरा वनिष्ठु: पर्वता: प्लाशय:॥१२॥

 

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धाता और सविता घुटने की हड्डियाँ हैं, गन्धर्व पिंडलियाँ, अप्सराएँ छोटी हड्डियाँ और देवमाता अदिति खुर हैं॥ चित्त हृदय, बुद्वि यकृत और व्रत ही पुरीतत नाम की नाडी है॥ भूख ही पेट, देवी सरस्वती आँतें और पर्वत भीतरी भाग है॥