समाचार संग्रह

आबूनाथ अवधूत अभ्यास अनुभूति अमृत बिंदु क्रिया

 ज्ञान के लिए एक पवित्र क्रिया जो स्वामीजी के द्वारा पहली बार प्रस्तुत की गई है।

यह सबसे शक्तिशाली क्रिया  हमें महान संतों से प्राप्त है । हमारे श्री  देवपुरीजी स्वयं भगवान शिव है  और  उनकी महिमा हजारों नामों में है । आबूनाथ अवधूत, आबू पर्वत के नाथ है। श्री देवपुरीजी निर्भय अवधूत संन्‍यासी, जीवनमुक्त के रूप में प्रसिद्ध है। । स्वयं ब्रह्मा और विष्णु ऐसे महान् योगियों की सेवा में रह्ते  हैं। हमारा अभ्यास उनकी अनुभूति  है। हम को अभ्यास करके उस अनुभव तक पहुँचना है जो अमृत बिंदु  कहलाता है।

तो आबूनाथ-अवधूत -अभ्यास-अनुभूति-अमृत-बिंदु क्रिया- ये सब पूरा पता और नाविक है जो उस गंतव्य की ओर ले जाता है, जहाँ आप सुख पाएंगे।

 

हंगरी के वेप में स्वामीजी का समर सेमिनार

यूरोप के उत्‍तरी क्षेत्र की गर्मी की ऋतु में आयोजित रिहाइशी योग सम्‍मेलनों में स्‍वामी जी बहुत सालों से अनगिनत बार अध्‍यात्‍म के विषय में शि‍क्षा देते रहे हैं । साथ ही साथ योगासन भी करवाते रहे हैं । और अब २०१४ का दैनि‍क जीवन में योग के ग्रीष्‍म सम्‍मेलन इस सप्‍ताह वेप, हंगरी में शुरू हो गये हैं।

फिजी में दैनिक जीवन के अनुष्‍ठानों में आत्‍म अनुभूति योग

वनुआ लेवू फिजी आईलैंड में आयोजित अनुष्‍ठान में परमहंस स्‍वामी महेश्‍वरानन्‍द ने श्री आदि शंकराचार्य की आपोरक्षा अनुभूति के विषय में बताया और उसकी व्‍याख्‍या भी की इसमें भाग लेने आये लोगों ने श्री आदि शंकराचार्य के जीवन के वि‍षय में जाना ऐसा लगता था जैसे शंकराचार्य की आत्‍मा वहां रोज होनेवाले सत्‍संगों में उपस्थित रहती थी ।

संत परमहंस स्‍वामी महेश्‍वरानन्‍द न्‍यूजीलैंड में

यह हमारा परम सौभाग्‍य है कि स्‍वामी जी फिर से ७ से १३ अगस्‍त तक न्‍यूजीलैंड में पधारे हैं। यहां उनके भाषणों और सत्‍संगों का विषय था दैनिक जीवन में योग द्वारा मन में शान्ति एवं सदभावना का जागरण।