स्ट्रिल्की चैक रिपब्लिक, २१ अगस्त २०१४

१) चार सप्ताह के लम्बे समय तक चलकर - स्ट्रिल्की में ग्रीष्मकालीन साधना शिविर सम्मेलन सम्पन्न हो गया। महान् सन्त श्री स्वामी महेश्वरानन्दपुरी जी ने दैनिक जीवन में योग और श्री अलखपुरी जी सि़द्धपीठ परम्परा का संदेश देकर यूरोपीय महाद्वीप की जनता के जीवन में ज्योति जगा दी। सीधे तत्काल प्रसारण के द्वारा यह कार्यक्रम सभी महाद्वीपों तक पहुंच गया ।

Joy of satsang

२) सत्संग का आनन्द

यह ग्रीष्मकालीन साधना शिविर २५ जुलाई को आरम्भ हुआ । इसमें क्रिया अनुष्ठान साधना, स्वास्थ्य एवं जीवनी शक्ति के लिये योग साधना एवं बालकों के लिये बालक साधना कार्यक्रमेां के साथ ही साथ दैनिक जीवन में योग के शिक्षको के लिये प्रशिक्षण - इन सभी कार्यक्रमों के लिये सैंकडों लोगों ने पूर्व पंजीकरण करवाया । ये प्रतिभागी उत्तरी और मध्य अमेरिका, आस्ट्रेलिया, एशिया एवं यूरोप से यहां पहुंचे थे।

३) किया अनुष्ठान समूहों ने लम्बी अवधि तक ध्यान का प्रतिदिन अभ्यास किया । इसमें उन्होंने आठ चक्रों, पांच प्राण और अन्त:करण पवित्रीकरण के बारे में ज्ञान प्राप्त किया इसका प्रशिक्षण लिया। स्वास्थ्य एवं जीवनी शक्ति को बनाये रखने के लिये योग साधना के लिये आये समूह ने आसन, प्राणायाम, विश्राम और योगनिद्रा आदि को दिन में दो बार ध्यान का अभ्यास करके और ज्यादा गहराई से समझा।

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४) बालकों ने अपनी आयु के अनुसार साधना का अभ्यास किया । प्रत्येक सप्ताह के अन्त में उन्होंने योग एवं जीवनचर्या से सम्बन्‍धित विभिन्न विषयों के बारे में कार्यक्रम प्रदर्शित किये जिनसे उनका ज्ञान और परिपक्व हुआ ।एक विशिष्ट आयोजन में - स्ट्रिल्की गुरुकुल वालों ने शाकाहारी भोजन शिक्षण , योगासन, प्राणायाम, प्रकृति संरक्षण, हिन्दी भाषा शिक्षण एवं संस्कृत श्लोकोच्चारण आदि अपने लगातार चलने वाले कार्यक्रमों को दिखाया और योग साधना शिविर में आये लोगों को इन सभी विषयों से परिचित कराया।

५) दैनिक जीवन में योग के शिक्षकों के लिये एक विशेष नया पाठ्यक्रम इसी साल शुरू किया गया है। यह पाठ्यक्रम इस साल शुरू होने वाले कार्यक्रम का प्रथम हिस्सा है। सप्ताह भर चलने वाले इस प्रशिक्षण में सभी प्रकार के अभ्यास, सूचनाएं, जो इन दैनिक जीवन में योग के शिक्षकों के लिये प्रासंगिक एवं आवश्यक थीं, उन्हें समझाया व दोहराया गया। पाठ्यक्रम के अन्त में शिक्षकों को इस शिविर में भाग लेने का विशेष प्रमाणपत्र भी दिया गया ।यह अग्रगामी योगशिक्षक पाठ्य क्रम भविष्य में भी अगले पाठ्यक्रमों के साथ जारी रहेगा ।

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६) साधना शिविर जिस महीने में लगा, उसमें कुछ त्यौहार एवं वर्षगांठें भी मनाई गईं, जिनसे इस शिविर का महत्व ज्यादा बढ गया । शिविर के तीसरे ही दिन विशेष अमावस्या थी ,जिसमें कई नक्षत्र एकत्र हो गये थे । १९४२ में इसी दिन ७२ साल पहले श्री दीपपुरी जी ने महासमाधि लेकर इस पृथिवी से निर्वाण प्राप्त किया था ।

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७) प्रतिभागियों ने महान् सन्त श्री स्वामी जी का जन्मदिवस ,भारतीय चान्द्र वर्ष और पाश्चात्य सौर वर्ष दोनों के ही अनुसार शिविर के दिनों में ही मना लिया । श्रावण महीने की पूर्णिमा को भाई बहन का पवित्र त्योहार रक्षा बन्धन भी अत्यन्त आनन्द के साथ सम्पन्न किया गया। और फिर अन्तिम सप्ताह में कृष्ण जन्माष्टमी - भगवान् कृष्ण के जन्म की वर्षगांठ मनाने का भी आनन्द लिया गया ।

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 ८) स्ट्रिल्की महाप्रभु दीप आश्रम के संरक्षित पार्क में चारों ओर लगे हुए वृक्षों के द्वारा प्रतिभागियों ने प्रकृति की सुन्दरता का भी आनन्द उठाया, जिससे उनमें शारीरिक एवं मानसिक स्फूर्ति का संचार हुआ और एक प्रकार से उनका कायाकल्प ही हो गया ।सत्संगों और अभ्यासों के कारण एक आध्यात्मिक वातावरण बन गया था । समय समय पर पार्क और मध्यकालीन किले के आसपास श्रमदान से प्रतिभागियों ने निष्काम कर्म का पाठ भी पढ लिया जिससे उनके अन्त:करण के विकास में प्रगति हुई।”

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