प्रयागराज , भारत -कुम्भ मेला - २०१९ - संसार का सबसे बडा धार्मिक आयोजन...
 
 
प्रचलित हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार प्राचीन वैदिक काल में समुद्र मंथन के बाद जब समुद्र से अमृत निकला तो अमृत प्राप्ति के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच १२ दिन तक युद्ध चला और उसी बीच अमृत कलश से कुछ बुँदे भारतवर्ष के अलग अलग ४ स्थानों पर पड़ी। तब से ही इन चारों स्थान पर कुम्भ मेले का आयोजन हर एक स्थान पर हर १२ वर्षों में होता हैं और कुम्भ मेले का आयोजन हर ३ वर्ष में होता है। प्रयाग, उज्जैन, हरिद्वार और काशी ये वे स्थान है जहां हर ३ वर्ष में कुम्भ का आयोजन होता है। इस बार के पुनः उसी अवसर पर कुम्भ मेले का आयोजन सुन्दर नगरी प्रयाग में जिसे संगम भी कहा जाता है क्युकी प्रयाग में गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों नदियां एक स्थान पर मिलती हैं |
 
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कुम्भ मेले की शुरुआत करने और प्रथम कुम्भ स्नान करने का विशेषाधिकार देश भर में स्थित अखाड़ों और उनके महामंडलश्वरों को मिलता हैं। महानिर्वाणी अखाडा जिसके अंतर्गत परमपूज्य विश्वगुरु महामंडलेश्वर परमहंस स्वामी महेश्वरानन्द जी भी आते है उनकी १ जनवरी २०१९० को पेशवाई (जिसमे अखाड़े के सदस्य कुम्भ मेले में आते है) हुई।
 
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आने वाली १४ अप्रेल को विश्वगुरु जी को निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर बने पुरे २१ वर्ष हो जायेंगे। जो की 1998 में हुए हरिद्वार के कुम्भ मेले में हुआ था।
 
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