पद राग लूर सारंग न॰ १३

म्हारा पीयाजी की सेजा म्हारो मन लागो।
मन लागो जी करल्यू सागो॥टेर॥

सुन्दर बचन मनोहर निरमल।
दरसन करीया दु:ख भागो॥१॥

श्री सतगुरु पीव अमर वर मेरा।
विश्वानर पेरियो वागो॥२॥

चौथी अटारी में पिलंग पिया को।
घूंघट ने करल्यू आगो॥३॥

श्री दीप कहे हर पीव पुरातन।
रमण भवन शोभा अण थागो॥४॥