पद राग पहाडी नं॰ ३४

मोरा सत गुरु दियो सन्देशो।
मैं हूँ जैसो को तेसो री॥टेर॥

नहीं जीव ईश ब्रह्म माया,
मैं केवल एक अजाया री।
ये महान सत उपदेशो॥१॥

नहीं है ॐ सोहं अरु वाणी,
में शब्दतीत रहानी री।
नहीं अव्याकृत को लेशो॥२॥

नही सूत्रात्मा जानो,
ये हिरण्यगर्भ मत मानो री।
नहीं अजशम्भु अरु शेषो॥३॥

कोई मम शरणा गति आवे,
सौ, जनम मरण नहीं पावे री।
ये अमर मंत्र है ऐसो॥४॥

यह गुञ्ज भेद कह गाथा,
श्री स्वामी दीप फरमाया री।
बडभागीजन सुनेसो॥५॥