पद राग बृज की रसिया न॰ १०
 
चाल सखी चाल पीव के भवन में।
श्याम मिलन की लगी बिरह तन में॥टेर॥
 
यौवन जाय देर मत कीजे।
बेग चलोगी तो लेऊंगी संगन में॥१॥

पीव वियोग सतावे मुझको।
चुभत कटारी घाव बदन में॥२॥

पतीब्रत धर्म धार गल लिपटो।
रमन करुंगी पीव के पलंग में॥३॥

श्री भगवान देवपुरी ब्रह्मानन्दी।
श्री स्वामी दीप कहे लगन मगन में॥४॥