पद राग लूरिया हिंडोल नं॰ १३२

सतगुरु स्वामीजी, ठगबाजी ठगडा की दुनिया सारो संसार।
सांचो एक कोनी देख्यो प्रेम ने धिक्कार॥टेर॥

हाले तो ठगाई, बोले तो ठगाई,
ठगाई ने मानी मोटी सार॥१॥

लेवे तो ठगाई, देवे तो ठगाई,
ठग बाजी ने राखे बारम्बार॥२॥

ठगाई में बोले, ठगाई में तोले,
ठगाई ने राखे ओले धार॥३॥

गावे तो ठगाई, बजावे तो ठगाई
कुल ठगणा है नर नार॥४॥

ठगने ठगावे, ज्यां को संग न करणों।
श्री स्वामी दीप सत गुरु, चरणों में सिर धार॥५॥