पद राग बारा हंस नम्बर ११७

ऐसो राम रमैयो पायो, उर मांही।
उर मांही व्यापक विश्व मांही॥टेर॥

अन्दर रामा, बाहर रामा, राम सब घट मांही।
चराचरी में राम बिराजे, सत गुरु श्याम गुँसाई॥१॥

आगे रामा पीछे रामा, राम दसू दिश मांही।
चवदे लोक में राम बिराजे, उण बिन दूजो नाहीं॥२॥

ऊँचो रामा, नीचो रामा, राम सभी जग मांही।
जड चेतन में राम बिराजे, राम बिना सूनो है नांही॥३॥

श्री सतगुरु राम श्री देवपुरी सा, महिमा वरणी न जाई।
श्री स्वामी दीप शरणागत आयो, चरण कमल के मांही॥४॥