पद राग श्याम कल्याण नं॰ १०४

ऐसो झडलागो सुन्दर नेवडलो।
नेवडलो नैना में बरसे मेवडलो॥टेर॥

बिरह का बादल उलट चढिया है, नहीं आवे बांको छेवडलो॥१॥

अरा उरद बिच भरा है समुन्दर मुख से न जावे है केवडलो॥२॥

दामन दमक रही घनघोर, उमग रह्मो है वाला प्रेमडलो॥३॥

झरर झरर घन बरस रया है, भीज रयो है अंग सारो देवडलो॥४॥

श्री पूज्य स्वामी देवपुरी सा, श्री दीपचरण में रेवडलो॥५॥