पद राग पधावा नं॰ १०१

हो सैया साहेब महा धन दीनो ये।
तन मन अरप रहे चरणों में, सेवक होय लीना ये॥टेर॥

दया ओ करो दीन दयालु, अभराई भर दोना ये।
योग युक्त प्रभु ध्यान सिखायो, श्रद्वालु होय लीना ये॥१॥

ज्ञान विवेक दिया निज अनुभव, भरम सब चीना ये।
ऐसा हो कोस अखिल भर दीना, चाकर होय लीना ये॥२॥

आया हे भरोसा ऐसा भारी, परिपूर्ण कीना ये।
है अथाग थाग नहीं उनका, दाता दत दीना ये॥३॥

श्री सतगुरु साहेब देवपुरी सा, निर्भय कर दीना ये।
श्री स्वामी दीप बधावा गावे, मुक्त सा जीवन कीना ये॥४॥