पद राग सोहनी नं॰ ८२

धन्य धन्य हो साहेब, जाऊँ बलिहारा।
जाऊँ बलिहारा, मेरे प्राण आधारा॥टेर॥

परमार्थ हित लिया अवतारा।
कुकर्म छुडाय किया निस्तारा॥१॥

मम देख दुखी, भव सागर मांही।
पकड भुजा मोहे, किया भव पारा॥२॥

असंख्य जुगां का, कष्ट अनादि।
भेटत ही छुटया, कलंक हमारा॥३॥

महाधन दीना स्वामी, चरणों में लीना।
अरश परस हम, पाया दीदारा॥४॥

श्री सत गुरु, साहेब देवपुरी सा प्रभु।
श्री दीप साहेब के, सरजन हारा ॥५॥