पद राग फकीरी सोरठ नं॰ ५६

फकीरा साधो, सिर बिना करे, संग्राम।
रोपे पाव चाव मन मांही, सन्मुख खडिया श्याम॥टेर॥

तत्व तलवार तरक सू काढी, फूल्यो अंग तमाम।
मारे पांच पचीसों योद्वा धरण मिलाये धाम॥१॥

दिव्य चक्षु दिल में सिर बिन, झुझे ज्याने मिले इनाम।
अचल स्वभाव डरे ना किन सें, कमधज वा रो नाम॥२॥

सोरठ राग सोरवां गावे, बाजा घुरे दमाम।
रिपु मार यश पायो जगत में, ज्यांरा चढिया नाम॥३॥

सूरा पूठ देय नहीं रण में, पंथ खगेस खराम।
श्री स्वामी दीप संत जन सूरा, वहाँ वीरां का काम॥४॥