पद राग किलगी नं॰ ३६

मेरे सतगुरु तुर्रेवारा।
हरि धन्य तेज पुज उजियारा॥टेर॥

भल हल भल हल भल हल भलके बाजे बेणु सतारा।
विश्व विभू प्रकाशि सर्वे होवे तेज पूंज उजियार॥१॥

धन्य भूमि धन्य ग्राम नाम कुल गुरु सा लेवे अवतारा।
धन्य हो भवन मग सो धन्य है गुरु स्वामी पद धारा॥२॥

कथा प्रारम्भ होत निरुपण सत्यासत्य विचारा।
धन्य वक्ता श्रोतागण धन्य हो जै जै जै कारा॥३॥

श्री भगवान देवपुरी नारायण विश्व रचाने वारा।
श्री दीप कहे दिव्य दरशन पाया, धन्य भाग हमारा॥४॥