पद राग मारवाडी न॰ २७

गुरु सा बिना साधन सर्वे फीका हेली।
भोजन लोन बिनान॥टेर॥

जप तप योग तीर्थ अरु दाना करे गंग स्नान।
लूको सूको लागत है ये ब्रह्म आतम का ज्ञान॥१॥

ब्रह्म ही ब्रह्म बके चाहे निशदिन बांचे कथा पुरान।
नाम लेत मिष्ठान को जी मुख नही मीठो जान॥२॥

आतम व्यापक सभी बतावे क्या हानि क्या लाभ।
सत गुरु प्रेम महर बिन सजनी डूबत भव जल नाव॥३॥

निर्गुण सगुण दोनों आप हो श्री सतगुरु दीन दयाल।
श्री दीप कहे सतगुरु कर देवे जीवन मुक्त निहाल॥४॥