पद राग मारवाडी न॰ २०

सुनो रे सुवा तूं रट ले सोहं नाम।
जिह्वा तेरी घर की लागत नहीं कछु दाम॥टेर॥

मोत बिल्ली खा जावसी करसी काम तमाम।
पींजर तोडे पलक में मुख में चाबे चाम॥१॥

मन सुवा तन पिंजरा आतम सोहं नाम।
महर करे गुरु देवजी तो जद पावे विश्राम॥२॥

हरि भजले अवसर मिला उठ सुबह अरु श्याम।
जगत बगीचा सूखसीजी यह सब जाण निकाम॥३॥

श्री दीप कहे सत मानजो संत शरण सुख धाम।
वेद संत उपदेश बतावे सब वरणत लक्ष तमाम॥४॥