पद राग काफी न॰ १२

चाहे सो बणावो स्वामी मैं संग चलूंगी॥टेर॥

पीव मेरो प्राण नाथ भरके मिलूंगी बाथ।
मुख चूमू हाथ रमण करुंगी॥१॥

उरध्व श्वासा सेज सारु बिधो घाव तन में मारु।
हंसी हंसी रोय रोय घुमर लगाऊंगी॥२॥

हंस सोहं घाघर फूटी, कहूँ क्या हद मोज लूटी।
जन्म मरण छूटी फेर न आऊंगी॥३॥

श्रीभगवन देव हरी मन मोहन, संग रमावो जाय मम यौवन।
श्री दीप कहे सुख सेज रमूंगी॥४॥